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बलात्कार, चीत्कार और जन-हुंकार

kaduvi-batain
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विरोध हो रहा है बलात्कार का|
उच्च है स्वर चीत्कार का|
सत्ता है मौन, पापी है कौन?
किधर हुआ असर जन-हुंकार का?

कृत्य, कुकृत्य, विकृत विदारक|
कहाँ हो हे कृष्ण, दुःख निवारक?
और कितना शील भंग, अंग-भंग स्वीकार्य?
दुष्ट दंड वांछनीय है युग उद्धारक|

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