- 39 Posts
- 119 Comments
देश की राजनीति में तीसरे मोर्चे की कितनी संभावना है? क्या तीसरा मोर्चा व्यवहार में सफल मोर्चा बन सकता है? क्या 2014 के संसदीय निर्वाचन के पूर्व यूपीए और एनडीए गठबंधनों में गहरी टूट-फूट हो सकती है?क्या घटक दलों में बिखराव का संकेत सिर्फ दिखावा है और 2014 के चुनावों से पहले सब कुछ ठीक हो जाएगा?
ऐसे कई सवाल हैं जो वर्तमान राजनीतिक उठा पटक के चलते हमारे मन में कोंध रहे हैं| वाकई में ये राजनीती का संक्रमण काल है| कांग्रेस सरकार की लगातार हो रही किरकरी और अवसरवादी नेताओं की स्वार्थपरक चालें नए नए समीकरणों के इजाद होने की और इशारा कर रही हैं| और खामियाजा देश, देश की अर्थव्यवस्था एवं जनता भुगत रही है| हो सकता है कि आगे गठबंधन की नई सूरत हमें देखने को मिले। और ये भी संभव हे कि राजनीती में एक नया कल्याण कारी सूरज उगे जिसकी सभी कल्पना कर रहे हैं यद्यपि सम्भावना अत्यन्य क्षीण है| किन्तु इतना तय है कि अगले चुनावों में दल बदलू प्रथा का विस्तार तेज़ी से होगा और स्वार्थपरकता अपने चरम पर दिखाई देगी|
राजनीति और खासतौर पर भारतीय राजनीति का रूप अत्यंत घिनौना हो चुका है| सभी अपने अपने कयास लगा रहे हैं, किसी न किसी का माफिक बैठना ही है| चलिए फिर कुछ और कयास लगाये जाएँ और ये खेल भी देखें….और हाँ निश्चित तौर पर तैयार रहें पिसने के लिए|
एक विकल्प सत्ता परिवर्तन का आदरणीय मोदी जी का नेतृत्व हो सकता है..देखना है जनता क्या निर्णय करती है…
शुभ संकल्पमस्तु:
Read Comments