kaduvi-batain
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रचना काल–१ फ़रवरी २००३
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आओ बीती बात भुलाएँ|
प्रेम घ्रणा का सह-आलिंगन,
पुष्पलता का वह मधु चुम्बन,
सर्पदंश का दर्द मिटायें,
आओ बीती बात भुलाएँ|
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प्रज्ज्वलता के संगी साथी,
पर रिक्त दिए मैं सूनी बाती,
फिर से शांत द्वीप जलाएं,
आओ बीती बात भुलाएँ|
—
गर्वित मन के सुस्वप्नों को,
दुःख के तम में हम अपनों को,
अवसर देकर आजमायें,
आओ बीती बात भुलाएँ|
—
प्रकृति प्रयास प्रदत्त जीवन,
दिवस निशा के सहभागी बन,
अधिकारों का भेद मिटायें,
आओ बीती बात भुलाएँ|
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