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निजी रजामंदी बनाम समाज की अनुमति-Jagran Junction Forum

kaduvi-batain
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Jagran Junction Forum पर अभी एक पोस्ट प्राप्त हुआ-

“जिस्मानी रिश्तों के लिए क्या ज्यादा जरूरी – समाज की अनुमति या निजी रजामंदी?”
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यह पूरी तरह व्यक्तिगत मसला है| दो वयस्कों को ये अधिकार है की वे अपनी मर्जी से शारीरिक सम्बन्ध स्थापित कर सकें| बल-पूर्वक तो पत्नी से भी शारीरिक सम्बन्ध बनाना “बलात्कार” की सीमा मैं आता है| फिर इसमें किसी का हस्तक्षेप क्यूँ?
एक क्रीम से समाज का नैतिक पतन कैसे हो सकता है? नैतिक रूप से पतन और उत्थान तो संस्कारों पर निर्भर करता है| हाँ इतना अवश्य है की यह क्रीम एक टूल है टूल की ही भांति प्रयुक्त की जानी चाहिए|
ब्लॉग मैं कहा है की “कई बार प्रेम संबंध सभी सीमाएं पार करने के बाद भी सफल नहीं हो पाता तो आगे का जीवन बिना किसी परेशानी के बिताने के लिए अगर महिलाएं 18 अगेन या ऐसी कोई अन्य क्रीमों का उपयोग करती हैं तो इसके बुराई भी क्या है।”–मैं पूर्ण रूपेण सहमत हूँ| जैसा की मने कहा की इसे एक टूल की भांति ही प्रयुक्त करना चाहिए|
हमारे समाज मैं कंडोम तथा पुरुषों के लिए उत्तजना बढाने वाली दवाएं वर्षों से बाज़ार मैं खुले आम बिक रही हैं| क्या इनसे कभी समाज का नैतिक पतन नहीं हुआ? कभी समाज ने इनकी सर्व उपलब्धता पर हाय तौबा क्यूँ नहीं की? क्यूंकि समाज परुष-प्रधान है और ये १८-अगेन की प्रयोगकर्ता स्त्री है?
हाँ इतना ज़रूर है की इस क्रीम का प्रयोग केवल आवश्यकता पड़ने पर सिर्फ एक टूल की ही भांति ही किया जाना चाहिए|
भारती की स्त्रीयां अपने मूल्यों को समझती है| मुझे विश्वास की वो दिन कभी नहीं आएगा जब पाश्चात्य देशों की भांति भारत में भी लोग बिना किसी शर्म और लिहाज के सार्वजनिक तौर पर एक-दूसरे के साथ शारीरिक निकटता बनाते नजर आएंगे, जैसा की ब्लॉग मैं उल्लेखित है|

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